स्वप्न के परिंदे.....☺️
स्वप्न के परिंदे आते तो , आने दो उसे
जाते हैं तो जाए जाने दो उसे
कह दो उसे! हमें न यूं परेसां करे
अभी हम सोये हैं...!!!!
स्वप्न रुपी बीज हमने कुछ बोये हैं
उगने दो उन्हें, उन परिंदों को ना चुगने दो उन्हें
बोया बीज जो हमने सोया है अभी,
उठाओ उसे......!!!!
डालो कुछ बूँद पानी की 💦
लगे भूख उसे, कमी ना हो कुछ खाने की
कुछ खाद डालें, थोड़े थोड़े समय बाद डालें
क्यों कि..!! अभी बहुत बढ़ना है उसे..।
उन्हीं परिंदों की तरह उड़ना है उसे
उग रहा वो बीज धीरे से वहाँ
सब्र कर इक दिन छु लेगा वो जहाँ
फिर इक दिन मुझे किसी ने आवाज दी।
लगा हमें, वो बीज आ गया जो हम बोये थे।
देखो आज कितना बड़ा है...!!!! बन कर पर्वत मेरे सामने अड़ा है इस पर्वत समान पेड़ पर चढ़ मैं।
सब से कहता हूँ "सपने देखो
क्यों कि! सपने सच होते हैं"
और मुझे सब सुनेगे सुनकर मुझे
वो भी कुछ सपने बनेंगे।
जिसे हम कल प्रेरणा रुपी जल विश्वास रुपी खाद देते रहे,
वह आज सबके लिए प्रेरणा बन चुका है
आज वह उन्हीं परिंदों को छांव देता है
जो कल उस बीज को चुगने चले थे।
क तक हम उसका पालन पोषण कर रहे थे ।
और देखो आज वह हमें पाल रहा है
यह सपना था आपका जो आज सच हो चुका है
और आपसे चीख चीख के यह कह रहा है..!!!!!
*देखो एक बीज को भी बड़ा पेड़ बनने के लिये जमीन में दफ्न होना पड़ता है*
सपने देखो क्यों कि सपने सच होते हैं
यह लेख आपको कैसा लगा जरूर बताएं।
✍️अजय अग्निहोत्री।
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