How can achieve our goal | हिंदी में |

              अप शक्तियों को पहचाने.....🤔🤔😉


Courstey :- swed marten 🔮🏃लक्ष्य goal पर पंहुचने के लिए उसके प्रति इच्छामात्र रखने से कुछ नही होता।


How can achieve our goal

लक्ष्य success को पाने के लिये अपनी शक्तियों को अच्छी तरह पहचाने और अपनी समग्र शक्ति लगाकर उसे प्राप्त करने का प्रयत्न करें । 

उसे कल पर कभी न टालें। जो व्यक्ति अपने लक्ष्य को कल पर टाल देते हैं वे सदा दुर्बल बने रहते हैं।




☝️:-   मैंने एक किताब में पढ़ा था कि पानी को जब तक 212 डिग्री तक गर्म करके भाप न बनायीं जाय तब तक इंजन अपनी जगह से हिल नहीं सकता और न ही गाडी को खींच सकता है। 

यहां तक कि 210 डिग्री तक भी गर्म करने से इंजन नहीं चल सकता और गाड़ी नहीं खींची जा सकती,,,,।


इसी प्रकार अनेक लोग अपनी जीवन की गाड़ी को गुनगुने पानी से चलाने की कोशिश करते हैं और बहुत हुवा तो उबलते पानी से चलाने का प्रयत्न करते हैं। 


लेकिन फिर भी उनकी प्रगति नहीं हो पाती , वे आगे नहीं बढ़ पाते । 


वास्तव मे उनके इंजन मे लगे बॉयलर मे पानी 200 या 210 डिग्री तक ही गर्म हो पाता है और उनके जीवन की गाडी जहां की तहाँ खड़ी रह जाती है।


इसका स्पष्ट अर्थ यह है कि उनका उत्साह काम के प्रति उतना तेजस्वी नहीं हो पाता , जितना होना चाहिए। 


उत्साह मन्द होने पर काम मे सफलता नहीं मिल सकती, ठीक उसी प्रकार जिस तरह गुनगुना पानी इंजन नहीं चला सकता। 


जब तक कोई व्यक्ति किसी काम में अपनी आत्मा को सम्पूर्ण रूप से नहीं लगा देता , तब तक उसे किसी भी प्रकार की सफलता अथवा उपलब्धि की आशा नहीं करनी चाहिए।



कुछ करने के लिए काम में अपनी समस्त शक्ति नियोजित कर दें। कुछ बनने के लिए केवल इतना ही पर्याप्त नहीं कि आपकी इच्छा वैसा बनने की हो। 


उसके लिए आपको अपनी समग्र  शक्ति को एकत्र करके एक लक्ष्य पर केंद्रित करना होगा । हर व्यक्ति को यह अधिकार प्राप्त है कि वह जिस वस्तु को चाहे , उसकी इच्छा करे , लेकिन उसे प्राप्त वही कर पाता है, जिसका शारीरिक एवं मानसिक संतुलन सही हो। 



केवल इच्छा मात्र से ही कुछ नहीं हो सकता । इच्छा करना और कर्म करने में आकाश पाताल का अंतर है। इच्छा गुनगुना पानी है, जो जीवन की गाड़ी को लक्ष्य तक नहीं पंहुचा सकती ..!!!!!



लेकिन वही गुनगुना पानी जब 212 डिग्री पर गर्म होकर खौलने लगता है यानी आप अपने उद्देश्य के प्रति समग्र शक्ति लगाकर प्रयत्न करने लगते हैं तो आपकी गाड़ी अपने लक्ष्य तक अवश्य पंहुच जायेगी।  


जो भी व्यक्ति अपने जीवनोद्देश्य  को निश्चित कर लेता है और उसके लिए सदा उत्साहित बना रहता है, उसमें एक ऐसी शक्ति पैदा हो जाती है, जिसे हम रचनात्मक , क्रियात्मक , अथवा निर्माणात्मक सृजन शक्ति कह सकते हैं। 


ऐसा कर्मठ व्यक्ति ही श्रेष्ठ बन पाता है । लक्ष्य के बिना कोई भी व्यक्ति मौलिक अथवा रचनात्मक कर्ता नहीं बन सकता और जब तक व्यक्ति एकनिष्ट होकर अपने मन को किसी एक बिंदु पर एकाग्र नहीं करता , तब तक उन्नति के पथ पर अग्रसर नहीं हो सकता और न अपने जीवनोद्देश्य को ही प्राप्त कर सकता है ।


मै एक ऐसे व्यक्ति को जानता हूँ जिसे यदि कोई यह कहे की वह कठोर परिश्रमी नहीं है, तो वह स्वयं को बड़ा अपमानित अनुभव करता है, जब की योग्य व्यक्ति होते हुवे भी वो आज तक सफल नहीं हो सका। 



इसका कारण केवल यही है कि उसका जीवन एक से दुसरे और दुसरे से तीसरे काम को करते हुवे व्यतीत हो रहा है। जल्दी जल्दी काम बदलने से व्यक्ति कभी सफल नहीं हो सकता । 



इसके साथ आपको यह भी समझना आवश्यक है कि काम को बीच में छोड़ने की आदत बड़ी घातक होती है तथा आवश्यक से अधिक सावधानी और विश्वास का अभाव , ये दो बातें भी आपकी प्रबल शत्रु हैं।


अनेक व्यक्ति यह भी समझते हैं कि उन्हें कभी न कभी अपने काम में सफलता मिल ही जायेगी । यह बात भी ठीक नहीं , क्यों कि एक तो इसमें संदेह की भावना होती है, दुसरे यदि आप योजनाबद्ध और सीमा निश्चित करके कार्य नहीं करेंगे तो आपको जीवन भर सफलता प्राप्त नहीं होगी । 


उद्देश्य निर्धारित करने के बाद उस कार्य की सिद्धि के लिए अन्य बातों का भी ध्यान रखना आवश्यक है। उद्देश्य स्थिर करके आराम से बैठ जाने से सफलता और सिद्धि प्राप्त नहीं होती , उसके लिए एकाग्र मन से श्रम करना होता है।


उद्देश्य की प्राप्ति में दृढ संकल्प बड़ा ही सहायक सिद्ध होता है, क्यों की दृढ संकल्प में बड़ी शक्ति छिपी होती है। 


उसकी प्रेरणा से व्यक्ति में लगन पैदा होती है और वह दृढ संकल्प व्यक्ति को आगे बढ़ने की ही प्रेरणा देता है पीछे हटने की नहीं। 



यदि एक बार कोई व्यक्ति दृढ संकल्प कर के आगे बढे, तो फिर उसके रास्ते की सभी बाधायें स्वयं नष्ट हो जाती है और मार्ग कितना भी लम्बा क्यों न हो, बलिदान कितना भी क्यों न देना पड़े , परंन्तु दृढ संकल्प की शक्ति उसको उसके उद्देश्य तक अवश्य पंहुचा देती है । 



जब किसी महान एवं रचनात्मक उद्देश्य के लिए व्यक्ति के मन में प्रेरणा जागृत होती है , तो उसमें एक अदभुत दैवी शक्ति का उदय होता है।


 तब मनुष्य सर्वथा नवीन बन जाता है और प्रत्येक वस्तु में एक दिव्य ज्योति के दर्शन करने लगता है। तब सन्देह, भय, उदासीनता, आदि दुष्ट लालसाएं , जो उसके रास्ते को रोके खड़ी थीं, सब नष्ट हो जाती हैं और प्राणी में नवजीवन संचारित होने लगता है। 


तब कुरूपता का स्थान सुंदरता ले लेती है । तब अस्त व्यस्त व्यक्ति भी नियम से चलने लगता है और अंत मे सब पा लेता है।



दोस्तों अब तक तो आप सारा सार समझ गए होंगे की जिसे अपने उद्देश्य के प्रति निष्ठा है जो अपने काम में स्फूर्ति अनुभव करता है, जो अपने को योजनाबद्ध तरीके से करता है और जिसे कार्य में सफलता प्राप्त करने की लगन है ,उसे देखकर सभी व्यक्ति प्रसन्नता अनुभव करते हैं, प्यार करते हैं, उसका आदर करते हैं। success!!!

और गुणी जनों में उसकी गणना होती है।🙏🙏

☝️अंत में में श्री हरिवंशराय बच्चन जी की चार पंक्तियाँ दोहराना चाहूंगा कि


   

   👉मदिरालय जाने को घर से चलता है पीने वाला 
     किस पथ से जाऊं असमंजस में है वो मतवाला 
    अलग अलग पथ बतलाते सब पर मैं यह बतलाता हूँ
   राह पकड़ तू एक चला चल पा जायेगा मधुशाला..☺️
             
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✍️अजय अग्निहोत्री......!!!

          
                   
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