Hindi kavita
जो की *मेरी कलम से* होंगी तो चलो शुरू करते हैं
एक कविता जो मैंने अपने आंगन में बैठे हुवे चाँद पर लिखी सोचा और देखना चाहा की चाँद क्या संदेश देना चाहता है।
🌙*सन्देश चाँद का*🌙
बैठा इक सांझ आंगन में अपने,
सोचा दीदार करूँ मै चाँद का ।
लाखों खुशियां लिए हुवे वो,
प्रतीक चिन्ह सम्मान का ।
टिम-टिम करते तारे जहां में,
खुशियां और बढ़ाते हैं।
अपने इस नटखटपन से वो,
चाँद को बहलाते हैं।
बहकना उसकी अदा नहीं ,
वो जग में सबसे भारी है।
विजयरथ ले चल पड़ा ,
हर रणभूमि में बाजी मारी है।
सर्दी गर्मी भूल के भी वो,
बस देखे अपने काम को।
जच्चा बच्चा जान सके जो
उस स्वाभिमानी चाँद को।
सोचा देखूँ और करीब से तो, मैंने यह पाया ,
कोमल है उसकी अदा, निराली उसकी है छाया ।
घूम के देखा जो जग में,कहीं मोह तो कहीं है माया ।
अपने इस अंदाज से वह देख़ रहा संसार है,
हर रात को रोशन किया चाँद ने ,
फिर अँधेरी काली रात है ।
देख-देख़ थक चुका चाँद भी,
कोना कोना अपराध है ।
हर भूल सुधारो मानवता की ,
जन मानुष का ये राग है।
पुरे जहां को रोशन किया चाँद ने,
उस चाँद में भी तो दाग है।
फिर अगले ही पल वो आया ,
लिए चिन्ह मुस्कान ☺️का ।
प्रेम प्यार रस भरो जहां में ,
सन्देश यही है चाँद का।
✍️अजयअग्निहोत्री
मेरी माँ हिंदी कविता
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5 Comments
Click here for CommentsYes Harish
ReplySo beautiful
ReplyThankyou mr adarsh
Replyवॉ दिल छू गया
ReplyThnks
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