ब्रह्माण्ड की महत्वपूर्ण जानकारी- important information about universe

ब्रह्माण्ड:-


ब्रह्माण्ड की महत्वपूर्ण जानकारी


◆ सामान्य रूप से पृथ्वी ग्रहों उपग्रहों तारों एवं आकाशगंगाओं के सम्मिलित रूप से ब्रह्माण्ड कहा जाता है।

◆ ब्रह्माण्ड वस्तुतः सूक्ष्मतम अणुओं से लेकर महाकाय आकाशगंगाओं का सम्मिलित रूप होता है।

◆ ब्रह्माण्ड के उत्पत्ति के संबंध में तीन सिद्धान्त प्रचलित हैं, पहला महाविस्फोटक सिद्धान्त, दूसरा साम्यावस्था या सतत संविष्ट सिद्धान्त तथा तीसरा दोलन सिद्धान्त प्रचलित है।



◆ सभी सिद्धान्तों में से महाविस्फोटक सिद्धान्त सार्वधिक मान्य सिद्धान्त है, जिसे विस्तारित ब्रह्माण्ड परिकल्पना कहा जाता है।

इस सिद्धान्त के अनुसार , ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति एक बड़े विस्फोट से हुई है। जो 15 अरब वर्ष पहले घटित हुई थी।

◆ महाविस्फोट सिद्धान्त जिसे बिग बैंग थ्योरी भी कहा जाता है, का प्रतिपादन एन जॉर्ज लैमेंटेयेर ने किया था।

◆ वर्ष 1929 में एडविन हब्बल ने डॉप्लर सिद्धान्त के आधार पर यह प्रमाण दिया कि ब्रह्मांड का विस्तार हो रहा है तथा इसके प्रमाण के लिए उन्होंने रेड शिफ्ट की घटना को प्रतिपादित किया।

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◆ ब्रह्माण्ड के रहस्यों को जानने के लिए वर्ष 2010 में यूरोपियन सेण्डऱ फ़ॉर नुक्लेअर रिसर्च (CERN) ने जेनेवा में लौर्ज हैडन कोलाइडर(LHG) नामक महाप्रयोग किया।

हिग्स बोसॉन जिसे गॉड पार्टिकल के नाम से जाना जाता है, उसमें ब्रह्मांड की उत्पत्ति के रहस्य घिरे होने का अनुमान लगाया गया है।

◆ वैज्ञनिकों के अनुसार, ब्रह्मांड में ऐसे पदार्थों की मौजूदगी है, जो अदृश्य है और ब्रह्मांड का 90-95% द्रव्यमान इसी अदृश्य पदार्थ के कारण है, जिसे वैज्ञानिकों ने डार्क मैटर का नाम दिया है।

◆ आकाश में दिखाई पड़ने वाले अनेक पिंड जैसे- तारे, आकाशगंगा, ग्रह, उपग्रह , छुद्रग्रह, धूमकेतु इत्यादि खगोलीय पिंड कहलाते हैं।

◆ तारों का ऐसा समूह जो धुन्दला दिखाई पड़ता है तथा जो तारे के निर्माण प्रक्रिया की शुरुआत का गैसपुंज है, मंदाकिनी कहलाता है।

हमारी पृथ्वी की मन्दाकिनी को दुग्धमेखला या आकाशगंगा कहते है।

◆ मंगल एवं बृहस्पति ग्रह के मध्य पाए जाने वाले छोटे आकाशीय पिंड जो सूर्य की परिक्रमा करते हैं, छुद्रग्रह कहलाते हैं।


फोर वेस्टा एकमात्र छुद्रग्रह है जिसे नंगी आँखों से देखा जा सकता है।

◆ धूमकेतु सौरमण्डल में विधमान गैस एवं धूम का संग्रह युक्त छोटे छोटे अरबों पिंड होते हैं जो चमकदार होते हैं तथा यह तभी दिखाई देते हैं जब वह सूर्य की ओर अग्रसर होते हैं। धूमकेतु की पूँछ सदैव सूर्य के विपरीत दिशा में होती है।

◆ हैली नामक धूमकेतु या पुच्छलतारा का परिक्रमण काल 76 वर्ष का है तथा वह अंतिम बार वर्ष 1986 में दिखाई दिया था।

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