सिंधु घाटी सभ्यता - प्राचीन भारत | भारतीय इतिहास।

भारतीय इतिहास:- प्राचीन भारत


भारत का प्राचीन नाम भारतवर्ष सर्वप्रथम पाणिनी की अष्टाध्याय में मिलता है यहां के मूल निवासियों को भरत की सन्तान कहा जाता है।

यूनानियों में भारत को इंडिया तथा मध्यकालीन मुस्लिम शाशकों ने हिंदुस्तान के नाम से सम्बोधित किया है।


सिंधु घाटी सभ्यता - प्राचीन भारत

प्राक-इतिहास:-

प्राक इतिहास को मुख्य तीन भागों में बांटा गया है।



◆प्रागैतिहासिक काल:- 

जिस काल की अध्ययन सामग्री उपलब्ध नहीं है।

◆आध्य- एतिहासिककाल

जिस काल की अध्ययन सामग्री को पढ़ा नहीं जा सका।

◆ एतिहासिक काल

जिस काल की प्रचूर अध्ययन सामग्री उपलब्ध है।

● होमो सेपियंस(ज्ञानी मानव) का आविर्भाव तीस चालीस हज़ार वर्ष पूर्व माना जाता है।

● पशिमोत्तर भारत के सोहन घाटी क्षेत्र से पुरापाषाण के साक्ष्य प्राप्त हुवे हैं।

● मानव द्वारा प्रथम पालतू पशु कुत्ता था, जिसे मध्यपाषाण काल में पालतू बनाया गया। इसका शाक्ष्य आदमगढ़ एवं बागोरट से मिला है।

● आग की जानकारी मानव् को पुरापाषाण काल से ही थी, किन्तु इसका प्रयोग नवपाषाण काल से ही प्रारम्भ हुवा।

● कृषि एवं पहिये का आविष्कार नवपाषाण काल में प्रारम्भ हुवा। मेहरगढ़ से कृषि का प्राचीनतम शाक्ष्य प्राप्त हुवा है।

● मनुष्य ने ताँबा धातु का प्रयोग सर्वप्रथम प्रारम्भ किया। मनुष्य द्वारा बनाया गया पहला औजार कुल्हाड़ी था।

● भारत में पाषाणकालीन सभ्यता का अनुसंधान सर्वप्रथम रोबर्ट ब्रूस फूट ने 1863 ईं में प्रारम्भ किया।

सिंधु घाटी सभ्यता:-

● सिंधु घाटी सभ्यता आध्य ऐतिहासिक काल की कांस्ययुगीन सभ्यता है। इसे भारतीय उपमहाद्वीप में प्रथम नगरीय सभ्यता का गौरव प्राप्त हुवा है।



● कार्बन डेटिंग पद्वति के अनुसार इसका कालक्रम 2350 ईं से 1750 ईं  पूर्व माना जाता है।

● सिंधु घाटी सभ्यता का विस्तार उत्तर में मांडा ( जम्मू कश्मीर, चिनाब नदी ) दक्षिण में दैमाबाद ( महाराष्ट्र , प्रवरा नदी ) पूरब में आलमगीरपुर ( मेरठ, हिण्डन नदी ) तथा पश्चिम में सुतकागेंडोर ( बलूचिस्तान, दासक नदी ) तक है।



नगर नियोजन:-

● मोहन जोदड़ो से प्राप्त वृहत सन्नानाघर एक प्रमुख स्मारक है, जिसके मध्य में एक स्नान कुण्ड है, जो 11.88 मीटर लम्बा , 7.01 मीटर चौड़ा एवं 2.34 मीटर गहरा है।

● यहां घरों के दरवाजे और खिड़कियाँ मुख्य सड़क की ओर न खुलकर पीछे की ओर खुलते थे। अपवाद-लोथल नगर के घरों के दरवाजे मुख्य सड़क की ओर खुलते थे।

● हड़प्पा सभ्यता में प्रयोग की जाने वाली ईंटों की लंबाई, चौड़ाई तथा ऊँचाई का अनुपात 4:2:1 था।

समाज:- 

● सिंधु सभ्यता का समाज मातृसत्तात्मक था। समाज चार वर्गों विद्वान, योद्धा, व्यापारी, और शिल्पकार में बटां था। जुवा खेलना, शिकार, नृत्य-संगीत आदि मनोरंजन के मुख्य साधन थे।

● समाज में शवों को जलाने एवं दफनाने की प्रथा प्रचलित थी। यहां पर्दा-प्रथा एवं वैश्यावृति प्रचलित थी।

धर्म:-

● सिंधु सभ्यता के लोग प्रकृति पूजक थे एवं मातृशक्ति में विश्वास करते थे। मातृदेवी एवं पशुपति शिव की पूजा की प्रधानता थी।

● लिंग योनि पूजा प्रचलित थी। लोग अंध विश्वास तथा जादू टोना में यकीन करते थे। एक भृंगी पशु पवित्र था।

● अग्नि कुण्ड का शाक्ष्य कालीबंगा से प्राप्त हुवा है। स्वास्तिक चिन्ह हड़प्पा सभ्यता की देन है ।


अर्थव्यवस्था:-

● इस सभ्यता में कृषि अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार थी। गेंहू, जौ, मटर, कपास, प्रमुख फसल थी। कपास को sindon कहा जाता था।

● माप तौल के मानकीकरण को स्थापित किया था। फुट तथा क्यूबिक की जानकारी लोगों को थी। माप के लिए दशमलव प्रणाली का प्रयोग किया जाता था। सिंधु सभ्यता में वस्तु विनिमय प्रणाली प्रचलित थी। तौल की इकाई सम्भवतः 16 के अनुपात में थी।

● मेसोपोटामिया के साक्ष्यों में हड़पा स्थलों के लिये मेलुहा शब्द का प्रयोग किया गया है। आंतरिक तथा विदेशी व्यापर प्रचलन में था।

● आंतरिक व्यापार के अंतर्गत सोना कर्नाटक से, ताँबा खेतड़ी ( राजस्थान ) से, सीसा राजस्थान से गोमेद सौराष्ट्र (गुजरात) से मंगाया जाता था।

● इस सभ्यता से सेलख़ड़ी की आयताकार मुहरे सर्वाधिक प्राप्त हुई हैं। जिन पर लेख लिखा गया है। इसकी लिपि को अभी तक पढा नहीं जा सका है।

सिंधु घाटी सभ्यता का पतन:-

सिंधु घाटी सभय्ता के पतन के लिए मार्टियर ह्वीलर ने आर्य आक्रमण मार्शल ने बाढ़ आरेल स्टाइन ने जलवायु परिवर्तन, एस. आर. साहनी ने जल प्लावन को जिम्मेदार माना है।




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