व्यापारी का गधा | story in Hindi | hindi kahani | moral stories

व्यापारी का गधा :-




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सर्प्रथम आपको नमस्ते स्वागत है आपका find your mind ब्लॉग में story in hindi आज की hindi kahani का शीर्षक है व्यापारी का गधा , moral stories 


Written by:- Mayank semwal


एक बार की बात है एक गाँव था रुद्रपुर वहाँ एक व्यापारी  रहता था जिसका केशव नीरू था उसका बड़ा परिवार था जिसमें उसके बीवी बच्चे पिताजी माताजी सभी एक साथ रहते थे ।



थोड़ा केशव नीरू के बारे में मैं आपको बता दूं वह एक मेहनती नमक का व्यापारी था उसे नमक लेकर एक नदी को पार कर दूसरी तरफ नमक का व्यापार करना पड़ता था, 



केशव खुद ही वो नमक की बोरियां अपने कंधे पर रख कर नदी पार जाया करता था पर समय के साथ केशव की तबियत खराब रहने लगी,



जिससे की वह बोरी अपने कंधे पर ले जाने में असहज महसूस करने लगा, वह एक दिन थक हार कर घर आया और बड़े ही शिद्दत से अपने बीवी को बोला की सावित्री अब यह काम हमसे नहीं हो पायेगा,



तब सावित्री ने उन्है कहा आप एक घोड़ा ले लीजिए बीवी के ऐसा कहने पर केशव हंसने लगा की हमारी कहाँ घोड़ा खरीदने की औकात है..!!!!



बीवी यानी सावित्री कुछ देर चुप रह कर कुछ सोचने लगी और फिर कहा तो आप एक गधा ही ले लीजिए आपका नमक की बोरियां ढोने मे आसानी हो जायेगी।




केशव फिर उसे चौंकते..!!!! हुवे देखता है और बीवी के मनाने पर वह मान जाता है, अब उसने अपने पास एक गधा रख लिया,
उस पर वह नमक की बोरियां भर कर नदी पार जा कर बेचने लगा केशव का काम अच्छा चलने लगा ।



अब उसे अपने काम में और भी मजा आने लगा तो केशव का यह काम चलता गया चलता गया वह आराम और अब सहज महसूस करने लगा,






फिर अचानक एक दिन पता क्या हुवा,
केशव ने गधे पे थोड़ा ज्यादा सामान रख दिया और यह गर्मियों के दिनों की बात है गधे की ऊपर नमक की बोरियां थी और जब वह चलते चलते नदी के ऊपर पंहुच गया तो गर्मी से परेशान होकर वह नदी मे ही लेट गया मालिक ने सोचा यानी केशव ने सोचा कि बेचारा थक गया होगा चलो कुछ देर इसे लेटे रहने देता हूँ।




और फिर जब गधा पानी में से उठा तो केशव ने देखा की गधा काफी तेजी से चलने लगा केशव चौंक गया और खुश भी हो गया...!!!!!




यही प्रक्रिया कुछ दिनों तक चलने लगी अब केशव को तो समझ नहीं आया पहले की यार पानी मे ऐसा क्या जादू है कि इस गधे में फुर्ती आ जाती है..।




बहरहाल आप भी यही सोच रहे हो ना मुझे पता था, तो आपको बता दूं कि जादू पानी में नहीं था जादू बोरी में था मेरे दोत्त अब आप बोलोगे बोरी मे क्या जादू,




जब गधा पानी में लेट जाता था तो आधा नमक पानी में ही बह जाता था जिसकी वजह से बोरी हल्की होकर गधे में फुर्ती आ जाती थी😁😁😁




और यही बात केशव को कुछ दिनो में समझ आ गयी और गधा अब जान बूझ कर पानी में लेटने लगा कि उसका भार कम हो जाए और केशव को इससे घाटा होने लगा।।




वह काफी परेशान हो चुका था फिर एक दिन उसको एक सुझाव आया की उसने नमक की जगह ढेर सारी रुईं जानते हो ना आप ( कॉटन ) केशव ने बोरियां भर के गधे के ऊपर रख दिया। 






और फिर हमेशा की तरह गधा नदी पार करते समय गधा फिर पानी में लेट गया और इस बार गधे की चालाकी भारी पड़ गयी क्यों की...??



उसके बाद जब गधा उठा तो रुईं में पानी की वजह से बोरी और भी भारी हो गयी और वह चल ही नहीं पाया यह सबसे भारी सामान था जो गधे ने अपने Carrier में उठाया था,




फिर गधे को भी अक्ल आ गयी की कामचोरी भार और बढ़ा देती है,




तो मेरे दोस्त moral of story यह था कि अपना हर काम पूति सिदत्त के साथ करो वरना गधा बनने में देर नहीं लगती ।




आपको hindi kahani कैसी लगी जरूर बताइये और ऐसे ही moral stories पढ़ने के लिए साथ बनाये रखें और अपने दोस्तों को जरूर शेयर करें यही थी आज की story in hindi धन्यवाद।
                                 ✍️अजय अग्निहोत्री


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